बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
'अथवा
भारत में पुर्तगालियों के प्रभुत्व की समाप्ति के क्या प्रमुख कारण थे? सविस्तार विवेचना कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. दोषयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था किस प्रकार पुर्तगाली साम्राज्य के पतन का कारण बनी?
2. पुर्तगालियों की धार्मिक असहिष्णुता की नीति पर प्रकाश डालिए।
3. स्पेन का पुर्तगाल पर अधिकार होने से पुर्तगाली साम्राज्य पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर -
पुर्तगालियों के प्रभुत्व की समाप्ति के कारण
(Causes to Decline of The Portuguese Power)
भारत में आने वाले यूरोपियों में पुर्तगाली ही सर्वप्रथम माने जाते हैं। इन्होंने भारत में अपना साम्राज्य स्थापित किया परन्तु शीघ्र ही इसका पतन हो गया। इसके पतन के कई कारण रहे जिनका उल्लेख निम्नांकित शीर्षकों के माध्यम से भली प्रकार किया जा सकता है-
1. दोषयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था - भारत में पुर्तगालियों द्वारा स्थापित शासन प्रशासन व्यवस्था अत्यधिक दोषपूर्ण थी। कर्मचारियों के वेतन अत्यन्त कम थे। अतः चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला था। पुर्तगाली अधिकारी खुलेआम रिश्वत लेने में हिचकिचाते नहीं थे। इस कारण प्रशासन में स्वेच्छाचारिता चरम पर पहुँच गयी और पुर्तगाली भारतीय जनता के हृदय में अपने शासन के प्रति वफादारी के भाव जाग्रत न कर सके। इस प्रकार दोषपूर्ण प्रशासनिक व्यवस्था पुर्तगालियों के प्रभुत्व की समाप्ति का कारण बन गयी।
2. धार्मिक असहिष्णुता की नीति - पुर्तगालियों के पतन के कारणों में उनकी धार्मिक असहिष्णुता की नीति का भी उल्लेख किया जा सकता है। उन्होंने ईसाइयों के अतिरिक्त अन्य धर्मावलम्बियों के साथ कठोरता का व्यवहार किया एवं उन्हें जबरन ईसाई बनाने का प्रयास भी किया। 1540 ई. में पुर्तगाली शासक के आदेश पर गोवा के सभी मन्दिरों को नष्ट कर दिया गया। इस प्रकार के कृत्यों से भारतीय जनमानस का विश्वास समर्थन पाने में पुर्तगाली असफल रहे। भारतीय जनता के हृदय में पुर्तगालियों के प्रति घृणा के भाव उत्पन्न हो गये। इस प्रकार पुर्तगालियों की धार्मिक असहिष्णुता की नीति अन्ततः उनके पतन का कारण बन गयी।
3. मुगल शक्ति का विस्तार - पुर्तगाली जिस समय भारत में आये उस समय मालाबार तट के नजदीक कोई शक्तिशाली साम्राज्य नहीं था। वहाँ पर अनेक छोटे-छोटे राज्य थे जिनमें निरन्तर संघर्ष होता रहता था। पुर्तगालियों ने इस स्थिति का लाभ उठाया जिससे भारत में शीघ्र ही पुर्तगाली बस्तियाँ स्थापित हो गयी। परन्तु इसी दौरान भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना हुई जिसने धीरे-धीरे सम्पूर्ण भारत को अपने अधिकार में कर लिया और दक्षिण की ओर बढ़ने लगा। अतः मुगलों द्वारा दक्षिण भारत में साम्राज्य विस्तार के कारण शीघ्र ही पुर्तगालियों की साम्राज्यवादी लालसाएँ समाप्त हो गयीं।
4. स्पेन का पुर्तगाल पर अधिकार - स्पेन ने 1580 ई. में पुर्तगाल पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया जिससे पुर्तगाल के हितों की अवहेलना होने लगी। स्पेन के शासक विलियम द्वितीय ने पूरब की अपेक्षा पश्चिम की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार करना अधिक उचित समझा। इसी कारण पुर्तगालियों क पूर्वी साम्राज्य की पूर्ण उपेक्षा कर दी गयी। इस कारण भी पुर्तगाली साम्राज्य का वैभव शून्य होने लगा।
5. यूरोपीय प्रतिद्वन्द्वियों का आगमन - प्रारम्भ में पुर्तगाली अकेले थे परन्तु धीरे-धीरे अन्य यूरोपीय भी भारत की ओर आकर्षित हुए जिनमें मुख्य रूप से अंग्रेज, फ्रेंच एवं डच थे। अंग्रेजों एवं डच जैसी प्रोटेस्टेण्ट जातियों के एशियाई देशों की ओर बढ़ने से भारत में पुर्तगालियों के लिए अनेक समस्याएँ पैदा हो गयीं। पुर्तगालियों की अपेक्षा डच एवं अंग्रेज दोनों ही जल एवं थल शक्ति में अधिक बढ़कर थे। डचों ने एम्बयोना, मलाका तथा लंका पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया / उधर अंग्रेजों का भी अधिकार क्षेत्र विस्तृत होता चला गया। अतः भारत में अन्य यूरोपीय जातियों का आना पुर्तगाली शक्ति के पतन का प्रमुख कारण बना।
6. मराठों का उत्कर्ष - 17वीं, 18वीं सदी में दक्षिणी भारत में मराठे भी शक्तिशाली होते जा रहे थे। शिवाजी के कुशल नेतृत्व में मराठा शक्ति का उत्तरोत्तर उत्कर्ष हो रहा था। मराठों ने पुर्तगालियों से घाना, सालसेट, बसीन इत्यादि बस्तियाँ भी छीन ली थीं। इस प्रकार मराठों का उत्कर्ष भी पुर्तगालियों के लिए हानिकारक साबित हुआ।
7. संसाधनों की सीमितता - किसी भी साम्राज्य के शक्तिशाली होने के लिए संसाधनों का पर्याप्त मात्रा में होना अति आवश्यक होता है परन्तु पुर्तगालियों के पास धन व जन दोनों ही संसाधनों का नितान्त अभाव था। इन साधनों की सीमितता के चलते पुर्तगालियों के लिए भारत जैसे विशाल देश को अपने अधिकार में रख पाना सम्भव नहीं था। यही कारण है कि जब पुर्तगालियों का सामना मराठों, मुगलों तथा अन्य यूरोपीय जातियों से हुआ तो उन्होंने अपने आपको पूर्णरूप से असहाय पाया।
8. अल्बुकर्क के अयोग्य उत्तराधिकारी - अल्बुकर्क ने भारत में पुर्तगाली साम्राज्य की नींव को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ अपनी प्रशासकीय योग्यता से एक सुव्यवस्थित, शासन की स्थापना भी की थी परन्तु उसके उत्तराधिकारी उसके समान योग्य नहीं थे। वे निर्बल और स्वार्थी थे। ऐसी स्थिति में पुर्तगाली साम्राज्य का पतन अपरिहार्य हो गया।
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- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
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- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
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- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
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- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
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- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
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- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
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